अखिलेश यादव बोले – “दीवाली पर दीए-मोमबत्ती पर क्यों खर्च?” | अयोध्या दीपोत्सव 2025 पर बयान से सियासी बवाल
लेखक: सूरज पांडेय | वार्ता वेव
फोटो: अखिलेश यादव और अयोध्या दीपोत्सव 2025
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक बयान ने अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव 2025 को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। अखिलेश ने कहा कि “दीवाली पर दीए और मोमबत्तियों पर इतना खर्च क्यों किया जा रहा है? अगर सजावट करनी ही है, तो क्रिसमस की तरह सुंदर लाइटिंग लगाएं।” इस बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है, खासकर तब जब राम मंदिर में पहली बार भव्य दीपोत्सव मनाया जा रहा है।
दीपोत्सव के खर्च पर सवाल
अखिलेश यादव ने लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सरकार को दिखावे की बजाय विकास पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “अयोध्या में हजारों लीटर तेल और लाखों दीए जलाए जा रहे हैं, लेकिन आम जनता को बिजली तक नहीं मिलती। सरकार को जनता की जरूरतों पर खर्च करना चाहिए, त्योहारों के दिखावे पर नहीं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “अगर रोशनी करनी ही है, तो क्रिसमस की तरह आकर्षक लाइटिंग लगाएं, जिससे ऊर्जा की बचत भी हो और सौंदर्य भी बढ़े।” अखिलेश के इस बयान को भाजपा नेताओं ने “राम भक्तों का अपमान” बताया है।
भाजपा का पलटवार: ‘यह राम विरोधी सोच है’
अखिलेश यादव के बयान के तुरंत बाद भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “अखिलेश यादव को राम मंदिर की भव्यता और दीपोत्सव की भावना समझ नहीं आती। वे हर बार हिंदू आस्था का मज़ाक उड़ाते हैं।”
भाजपा प्रवक्ताओं ने यह भी कहा कि दीपोत्सव से न सिर्फ धार्मिक भावना प्रकट होती है, बल्कि अयोध्या की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा फायदा होता है। इस आयोजन से पर्यटन, होटल व्यवसाय और छोटे व्यापारियों को करोड़ों रुपये की कमाई होती है।
‘क्रिसमस उदाहरण’ पर मचा घमासान
अखिलेश यादव के “क्रिसमस की तरह लाइटिंग” वाले उदाहरण को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस छिड़ गई। भाजपा समर्थकों ने इसे ‘हिंदू त्योहारों की तुलना करने वाली राजनीति’ बताया, जबकि सपा समर्थक इसे ‘तर्कसंगत विचार’ कह रहे हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि अखिलेश ने सिर्फ ऊर्जा बचत और आधुनिक सजावट की बात कही, न कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की। वहीं, भाजपा का आरोप है कि अखिलेश का यह बयान जानबूझकर विवाद पैदा करने वाला है।
पहली बार राम मंदिर में दीपोत्सव
इस बार दीपोत्सव 2025 खास है क्योंकि यह पहली बार राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद मनाया जा रहा है। सरकार का दावा है कि इस वर्ष लगभग 24 लाख दीए जलाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया गया है। अयोध्या नगरी को सजाने में हजारों वालंटियर्स और प्रशासनिक कर्मचारी लगे हुए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “यह दीपोत्सव भगवान श्रीराम के आदर्शों का प्रतीक है और इसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।”
जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
अखिलेश यादव के बयान को लेकर जनता में भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग मानते हैं कि उन्होंने सही कहा — “सरकार को दीए और मोमबत्तियों के खर्च की बजाय विकास योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए।”
वहीं, अन्य लोगों का कहना है कि “दीपोत्सव अयोध्या की पहचान बन चुका है, इस पर सवाल उठाना श्रद्धालुओं का अपमान है।”
निष्कर्ष
अखिलेश यादव का यह बयान फिर से एक बार यह दिखाता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में धर्म और त्योहार कितनी गहराई से जुड़े हुए हैं। दीपोत्सव का मकसद भक्ति और एकता का प्रतीक बनाना है, लेकिन सियासत ने इसे फिर एक विवाद का विषय बना दिया है। अब देखना होगा कि आने वाले चुनावों में इस बयान का असर किस तरह दिखता है।
— रिपोर्ट: सूरज पांडेय, वार्ता वेव