पाक अफगानिस्तान युद्ध विराम

अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा तनाव पर दोहा में बातचीत शुरू, युद्धविराम पर सहमति

तीन दिन की झड़पों के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधि एक टेबल पर; क़तर निभा रहा मध्यस्थ की भूमिका

लेखक: Suraj Pandey |

https://www.vartawave.com/wp-content/uploads/2025/10/file_00000000d6606208b71391b8aaae7cea.jpg
(फोटो: Varta Wave)

क़तर की राजधानी दोहा में शनिवार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के शीर्ष प्रतिनिधि आमने-सामने बैठे।
इस बैठक का उद्देश्य हालिया सीमा हिंसा को रोकना और दोनों देशों के बीच स्थायी युद्धविराम की दिशा में ठोस सहमति बनाना है।
पिछले सप्ताह सीमा क्षेत्रों में हुई झड़पों में कई नागरिकों और सैनिकों की मौत की पुष्टि हुई थी।

कौन हैं वार्ता में शामिल

अफगानिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याक़ूब और खुफिया विभाग के अधिकारी शामिल हुए,
जबकि पाकिस्तान की ओर से रक्षा और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
क़तर ने दोनों पक्षों को बातचीत की मेज़ पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सीमा संघर्ष की वजह

पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की सीमा से आतंकवादी संगठन
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) उसके इलाकों पर हमले कर रहे हैं।
वहीं अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का कहना है कि पाकिस्तान ने “एकतरफा हवाई हमले” किए हैं,
जिनमें आम नागरिकों की जान गई है। दोनों देशों के बीच यह विवाद कई वर्षों से जारी है।

अस्थायी युद्धविराम लागू

दोनों पक्षों ने दोहा वार्ता से पहले 48 घंटे का अस्थायी युद्धविराम घोषित किया था,
जिसे अब बातचीत की अवधि तक बढ़ा दिया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस संवाद से निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था पर सहमति बनती है,
तो यह दक्षिण एशिया में स्थायित्व की दिशा में बड़ा कदम होगा।

क्षेत्रीय असर और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस वार्ता को लेकर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और क्षेत्रीय देशों ने स्वागत किया है।
विश्लेषकों के अनुसार अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर शांति बहाल होना
पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।

पिछले संघर्षों का इतिहास

2021 के बाद से दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हो चुकी हैं।
2024 में भी इसी तरह की हिंसा में दर्जनों लोगों की मौत हुई थी।
पाकिस्तान आतंकी खतरों और आर्थिक संकट से जूझ रहा है,
जबकि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय मान्यता और प्रतिबंधों से जकड़ा हुआ है।

निष्कर्ष

दोहा में हुई यह वार्ता भले ही शांति की नई उम्मीद जगाती है,
लेकिन इसका भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों देश अपनी सुरक्षा चिंताओं को
ठोस कार्रवाई और भरोसेमंद तंत्र के ज़रिए हल कर पाते हैं या नहीं।

स्रोत:
India TV,
AP News,
Reutersटैग: अफगानिस्तान, पाकिस्तान, दोहा वार्ता, युद्धविराम, Suraj Pandey

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *