भारत के सबसे अमीर मंदिर में 100 करोड़ की चोरी! सालों से दानपेटी से पैसा उड़ाता रहा एक क्लर्क
लेखक: सूरज पांडेय | वार्ता वेव
तिरुपति (आंध्र प्रदेश): भारत के सबसे अमीर मंदिरों में गिने जाने वाले श्री वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुमला से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के एक क्लर्क ने वर्षों तक दानपेटियों (हुण्डी) से करोड़ों रुपये चोरी किए और इस दौरान उसने 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति बना ली। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है और आंध्र प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं।
20 साल तक चलता रहा ‘दान चोरी’ का खेल
जानकारी के मुताबिक, आरोपी क्लर्क मंदिर के दान संग्रह विभाग में लंबे समय से कार्यरत था। उसे रोज़ाना की गिनती और नकदी के प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया था। इसी दौरान उसने धीरे-धीरे करोड़ों रुपये गायब कर दिए। अनुमान है कि करीब 20 वर्षों तक यह गड़बड़ी बिना पकड़े चलती रही।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंदिर में कुल 13 मुख्य दानपेटियाँ (हुण्डियाँ) हैं, जिनसे रोज़ाना करोड़ों रुपये का चढ़ावा आता है। आरोपी कर्मचारी ने इसी प्रक्रिया का फायदा उठाकर नकदी में हेराफेरी की। जांच में यह भी सामने आया कि उसने अवैध रूप से अर्जित धन से रियल एस्टेट और सोने-चांदी में निवेश किया।
CID जांच के आदेश, पुराना मामला फिर खुला
यह मामला पहली बार कुछ साल पहले सामने आया था, लेकिन बताया जाता है कि इसे लोक अदालत में समझौते के ज़रिए दबा दिया गया था। अब आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए CID (क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) को दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
CID अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर इतनी बड़ी रकम लंबे समय तक कैसे गायब होती रही और किसने इसे छिपाने की कोशिश की।
राजनीतिक घमासान: विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
मामले के राजनीतिक पहलू भी सामने आए हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह पूरा घोटाला वाईएसआर कांग्रेस सरकार के शासनकाल में हुआ, जब मंदिर ट्रस्ट में प्रशासनिक नियुक्तियाँ सरकार के प्रभाव में थीं। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि मंदिर की आय को “प्रणालीगत भ्रष्टाचार” के ज़रिए लूटा गया।
सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो और दस्तावेज़ वायरल हो रहे हैं, जिनमें दावा किया गया है कि आरोपी ने चोरी के पैसों से आलीशान बंगले और ज़मीनें खरीदीं।
देश के सबसे अमीर मंदिर में पारदर्शिता पर सवाल
श्री वेंकटेश्वर मंदिर देश का सबसे अमीर धार्मिक स्थल माना जाता है। हर साल करोड़ों श्रद्धालु यहां आते हैं और सैकड़ों करोड़ रुपये का दान चढ़ाते हैं। ऐसे में इतनी बड़ी वित्तीय गड़बड़ी ने मंदिर प्रशासन की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
धार्मिक संस्थानों के जानकारों का कहना है कि यह मामला केवल “एक व्यक्ति की चोरी” नहीं है, बल्कि पूरी व्यवस्था की कमजोर निगरानी का नतीजा है। उन्होंने मंदिरों में दान प्रबंधन के लिए डिजिटल ऑडिट सिस्टम लागू करने की मांग की है।
भविष्य में क्या होगा?
CID जांच जारी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले हफ्तों में इस केस में बड़े खुलासे हो सकते हैं। अदालत ने मंदिर ट्रस्ट से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि दान प्रबंधन में कौन-कौन कर्मचारी शामिल थे और किस स्तर पर निगरानी में चूक हुई।
इस बीच, श्रद्धालुओं में भारी रोष है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब भगवान के नाम पर चढ़ाए गए पैसे भी सुरक्षित नहीं, तो आम जनता किस पर भरोसा करे?
निष्कर्ष: तिरुपति मंदिर घोटाला सिर्फ चोरी का मामला नहीं, बल्कि धार्मिक संस्थानों की पारदर्शिता, ईमानदारी और श्रद्धा पर लगा बड़ा धब्बा है। जांच से यह साफ़ होगा कि दोषी कौन हैं, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि इस घटना ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
— रिपोर्ट: सूरज पांडेय, वार्ता वेव