पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच दोहा में शांति वार्ता सफल, तत्काल युद्धविराम पर सहमति
क़तर की मध्यस्थता में दोनों देशों ने फायरिंग रोकने और निगरानी तंत्र बनाने पर सहमति जताई

दोहा (क़तर): पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पिछले दिनों सीमा पर बढ़ती हिंसा के बीच आखिरकार राहत की खबर आई है। क़तर की राजधानी दोहा में हुई अहम बैठक में दोनों देशों ने तत्काल युद्धविराम लागू करने पर सहमति जताई। क़तर के विदेश मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की और कहा कि समझौते के क्रियान्वयन पर नज़र रखने के लिए तंत्र भी बनाया जाएगा।
क़तर की मध्यस्थता से बनी बात
क़तर और तुर्की की कोशिशों से इस वार्ता का रास्ता साफ हुआ। वार्ता के बाद जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष युद्धविराम का पालन करेंगे और किसी भी उल्लंघन की सूचना साझा तंत्र के माध्यम से दर्ज की जाएगी, ताकि तनाव को तुरंत नियंत्रित किया जा सके।
कैसे भड़का संघर्ष
ड्यूरंड लाइन के दोनों ओर कई दिनों तक गोलाबारी और हवाई हमलों की खबरें आईं। दर्जनों लोगों की मौत और सैकड़ों के घायल होने के बाद स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो चुकी थी। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की धरती से आतंकवादी गुट उसके खिलाफ हमले करते हैं, जबकि तालिबान प्रशासन का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से सीमा पार हमले नागरिकों की जान ले रहे हैं।
अस्थायी से स्थायी की ओर
पिछले सप्ताह 48 घंटे के अस्थायी युद्धविराम ने बातचीत की राह खोली। इसके आधार पर दोहा में हुई बैठक में तत्काल और व्यापक युद्धविराम पर सहमति बनी तथा निगरानी के लिए संयुक्त समिति बनाने पर भी चर्चा आगे बढ़ी।
मुख्य मुद्दे: सुरक्षा और सीमा प्रबंधन
- आतंकी पनाहगाहों व सीमा-पार हमलों पर पाकिस्तान की चिंता।
- संप्रभुता के उल्लंघन और हवाई हमलों पर अफगानिस्तान की आपत्ति।
- लगभग 2,600 किमी लंबी ड्यूरंड लाइन पर ऐतिहासिक असहमति।
क्यों अहम है यह समझौता
यदि युद्धविराम कायम रहता है, तो सीमा क्षेत्रों में शांति लौटने के साथ व्यापारिक मार्ग और नागरिक आवागमन सामान्य हो पाएगा। क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज़ से भी यह बड़ा कदम है, हालांकि दोनों देशों के बीच अविश्वास और जमीनी चुनौतियाँ इसे टिकाऊ बनाने में बाधा बन सकती हैं।
आगे का रास्ता
- दोहा में संयुक्त निगरानी समिति का गठन और रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल तय करना।
- सीमा प्रबंधन, खुफिया साझेदारी और हॉटलाइन जैसी विश्वास-निर्माण की पहलें।
- क्षेत्रीय देशों—भारत, चीन, अमेरिका—की कूटनीतिक प्रतिक्रिया और सहयोग।
विश्लेषण: पाकिस्तान के लिए यह समझौता आंतरिक सुरक्षा को स्थिर करने का अवसर है, जबकि अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता बढ़ाने का। टिकाऊ अमल ही इस पहल की असली परीक्षा होगी।