Air India Plane Crash Wreckage Supreme Court Notice

91-वर्षीय पिता की गुहार: Air India Plane Crash पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

नई दिल्ली: एयर इंडिया (Air India) के अहमदाबाद प्लेन क्रैश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और DGCA को नोटिस जारी किया है। यह मामला उस फ्लाइट AI-171 के क्रैश से जुड़ा है जिसमें पायलट कमांडर सुमीत सभरवाल की मौत हुई थी। हादसे के बाद 91-वर्षीय पिता पुष्कर राज सभरवाल ने अदालत में याचिका दाखिल करते हुए न्यायिक जांच की मांग की थी।

यह दुर्घटना 12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर टेकऑफ के तुरंत बाद हुई थी। बताया गया कि फ्लाइट के दोनों इंजनों ने अचानक काम करना बंद कर दिया, जिससे विमान ने नियंत्रण खो दिया और कुछ ही क्षणों में वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच — न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची — ने सुनवाई के दौरान पिता से कहा, “यह बेहद दुखद हादसा है, लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे पर दोष लगाया गया है।” कोर्ट ने साफ कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट को दोषी नहीं ठहराया गया है

अदालत ने केंद्र सरकार और DGCA को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और कहा कि रिपोर्ट में किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया गया है। कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स की आलोचना की, जिनमें पायलट पर सवाल उठाए गए थे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “यह गलत रिपोर्टिंग है, हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”

पायलट के पिता पुष्कर राज सभरवाल ने अपनी याचिका में कहा कि जांच एजेंसियां AAIB और DGCA निष्पक्ष जांच करने में विफल रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को बिना ठोस सबूत के जिम्मेदार बताया गया है। पिता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि इस मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच की जाए, जिसमें सेवानिवृत्त जज और विमानन विशेषज्ञ शामिल हों।

प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, क्रैश से ठीक पहले दोनों इंजन “Run” मोड से “Cut-off” स्थिति में चले गए थे। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह तकनीकी खराबी थी या सिस्टम एरर। अदालत ने कहा कि इस रिपोर्ट को अंतिम नहीं माना जा सकता जब तक विस्तृत जांच न हो जाए।

अगली सुनवाई 10 नवंबर 2025 को होगी। तब अदालत यह तय करेगी कि इस मामले में न्यायिक जांच समिति गठित की जाए या नहीं। इस घटना ने देश में विमानन सुरक्षा और Air India की तकनीकी तैयारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह मामला केवल एक हादसे का नहीं, बल्कि भारत की एविएशन इंडस्ट्री की पारदर्शिता और जवाबदेही की परीक्षा भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि न्यायिक जांच होती है, तो इससे न केवल सच्चाई सामने आएगी बल्कि भारतीय पायलटों के प्रति विश्वास भी मजबूत होगा।

इस बीच, DGCA और AAIB ने अपने बयान में कहा है कि वे तकनीकी विश्लेषण कर रहे हैं और अंतिम रिपोर्ट दिसंबर 2025 तक पेश की जाएगी।

लेखक: Suraj Pandey | VartaWave News

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