शहबाज़ शरीफ़ की दिवाली शुभकामना पर पाकिस्तान में बवाल, सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
Pakistan PM Shehbaz Sharif Diwali Wishes Controversy

उनकी यह पोस्ट कुछ ही घंटों में वायरल हो गई और इसके नीचे सैकड़ों यूज़र्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। कई लोगों ने शरीफ़ पर “धार्मिक समझौते” का आरोप लगाया तो कुछ ने उन्हें “भारत समर्थक एजेंडा” चलाने वाला तक कह दिया।
पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर चल रही प्रतिक्रियाओं में एक यूज़र ने लिखा, “मुस्लिम देश के प्रधानमंत्री को केवल इस्लामी त्योहारों की शुभकामना देनी चाहिए, दूसरों की नहीं।” वहीं, दूसरे यूज़र ने कहा, “हमारे देश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, और पीएम को उनका सम्मान करना चाहिए — यह पाकिस्तान की असल छवि है।”
दरअसल, पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की आबादी लगभग दो प्रतिशत है। सिंध, बलूचिस्तान और कराची जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में हिंदू परिवार रहते हैं जो हर साल दिवाली को धूमधाम से मनाते हैं। इस बार भी मंदिरों में दीप जलाए गए, मिठाइयाँ बांटी गईं और पूजा-पाठ किया गया।
हालांकि, पाकिस्तान के धार्मिक कट्टरपंथी संगठनों ने प्रधानमंत्री की इस बधाई पर कड़ी नाराज़गी जताई है। जमात-ए-इस्लामी के कुछ नेताओं ने तो इसे “इस्लामी मूल्यों के खिलाफ कदम” बताया और कहा कि “सरकार को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो समाज में धार्मिक असंतुलन पैदा करें।”
पाकिस्तान की विपक्षी पार्टी पीटीआई के समर्थकों ने भी इस पोस्ट को लेकर व्यंग्य किया और कहा कि “शहबाज़ शरीफ़ देश की आर्थिक और राजनीतिक हालत सुधारने के बजाय धार्मिक बयानबाज़ी में उलझे हुए हैं।”
वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस कदम की सराहना भी हुई है। भारत समेत कई देशों के यूज़र्स ने शहबाज़ शरीफ़ की पोस्ट को साझा करते हुए कहा कि यह एक “पॉज़िटिव मैसेज” है जो दोनों देशों के बीच सौहार्द बढ़ा सकता है। भारतीय यूज़र्स ने लिखा, “कम से कम एक मुस्लिम देश का प्रधानमंत्री इतना साहस दिखा रहा है कि खुले तौर पर हिंदुओं को दिवाली की शुभकामना दे सके।”
इस विवाद के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सरकार अपने रुख पर कायम है कि “हर धर्म का सम्मान पाकिस्तान के संविधान का हिस्सा है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान जैसे देश में जहां धर्म और राजनीति गहराई से जुड़े हुए हैं, वहां इस तरह के कदम हमेशा बहस का कारण बनते हैं। लेकिन इससे यह भी साफ होता है कि समाज में एक ऐसा वर्ग मौजूद है जो आपसी सद्भावना और बहुलता के समर्थन में खड़ा है।
कुल मिलाकर, शहबाज़ शरीफ़ की यह दिवाली शुभकामना अब पाकिस्तान की राजनीति और सोशल मीडिया दोनों में चर्चा का विषय बन चुकी है। एक ओर उन्हें “धर्मनिरपेक्ष और समावेशी नेता” कहकर सराहा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उन्हें “इस्लामी पहचान से समझौता करने वाला” बताया जा रहा है।
यह विवाद यह भी दिखाता है कि दक्षिण एशिया में धार्मिक भावनाएँ आज भी राजनीतिक विमर्श का प्रमुख हिस्सा हैं — और ऐसे समय में जब पड़ोसी देश भारत दिवाली की रोशनी में नहाया हुआ था, पाकिस्तान में उसी रोशनी पर बहस की छाया पड़ गई।