Swami Prasad Maurya Hindu Virodhi sur : देवी लक्ष्मी की पूजा पर विवादित बयान से फिर गरमाई सियासत

 

Swami Prasad Maurya Hindu Virodhi sur : देवी लक्ष्मी की पूजा पर विवादित बयान से फिर गरमाई सियासत

Swami Prasad Maurya

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अक्सर विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिसने पूरे देश में धार्मिक माहौल को गरमा दिया है। इस बार उन्होंने देवी लक्ष्मी की पूजा पर सवाल उठाते हुए कहा — “अगर देवी लक्ष्मी की पूजा से धन आता तो भारत आज गरीब देश नहीं होता।” इस बयान ने न केवल हिंदू समाज को नाराज़ किया बल्कि इसे साफ तौर पर ‘Hindu Virodh’ (हिंदू विरोध) की श्रेणी में देखा जा रहा है।

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मौर्य ने कहा कि भारत में आज भी 80 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। अगर केवल पूजा करने से समृद्धि आती, तो इतने लोग भूखे क्यों रहते? उन्होंने यह भी कहा कि असली लक्ष्मी तो घर की महिला होती है, जो दिन-रात मेहनत करती है और घर को स्वर्ग जैसा बनाती है।

उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर #SwamiPrasadMauryaHinduVirodh और #LakshmiPujaControversy जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। यूज़र्स ने मौर्य पर धर्म का अपमान करने और हिंदू भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया। कई धार्मिक संगठनों ने उनके खिलाफ बयान जारी किया और माफी की मांग की।

यह पहला मौका नहीं है जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू देवी-देवताओं या धार्मिक परंपराओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की हो। इससे पहले उन्होंने देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं पर सवाल उठाते हुए कहा था — “जब कोई महिला चार हाथों के साथ जन्म नहीं लेती, तो देवी लक्ष्मी की मूर्तियों में चार हाथ क्यों दिखाए जाते हैं?” इस बयान ने भी भारी विवाद खड़ा किया था।

इसके अलावा उन्होंने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को “स्त्री विरोधी” और “शूद्र विरोधी” बताते हुए कहा था कि इन्हें ग्रंथ से हटाया जाना चाहिए। उस समय भी बीजेपी और कई हिंदू संगठनों ने उन्हें ‘संस्कृति विरोधी’ और ‘हिंदू विरोधी मानसिकता’ का नेता कहा था।

अब एक बार फिर दीपावली के मौके पर देवी लक्ष्मी की पूजा पर सवाल उठाकर मौर्य ने हिंदू समुदाय की भावनाओं को गहराई से चोट पहुँचाई है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने कहा — “यह बयान मौर्य के हिंदू विरोधी चरित्र को उजागर करता है। त्योहार के मौके पर ऐसा कहना समाज को बांटने की साजिश है।” वहीं विश्व हिंदू परिषद ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौर्य का यह बयान उनकी नई पार्टी ‘अपनी जनता पार्टी’ के लिए प्रचार का हथियार भी हो सकता है। वे धार्मिक विषयों पर विवाद खड़ा कर सुर्खियों में रहना चाहते हैं। हालांकि, इसका नुकसान उन्हें पिछड़े वर्गों में भी हो सकता है, जहां धार्मिक आस्था गहरी है।

कई लोगों ने यह भी कहा कि मौर्य का यह बयान आर्थिक असमानता के मुद्दे से ध्यान हटाकर धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाने वाला है। सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें “दीपावली पर अंधकार फैलाने वाला नेता” कहा है।

सार यह है कि Swami Prasad Maurya Hindu Virodh से जुड़ा यह नया विवाद दिखाता है कि धार्मिक भावनाओं पर राजनीति कर सुर्खियाँ बटोरना अब एक आम रणनीति बन गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या जनता इस तरह के बयानों को माफ करेगी या उन्हें हिंदू समाज का शत्रु मान लेगी?

लेखक: Suraj Pandey | Source: India TV, Mathrubhumi, Hindustan Times

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