उषा देवी आरजेडी टिकट विवाद: पटना में लालू आवास पर प्रदर्शन, 2020 के वादे का हवाला

- उषा देवी का आरोप—2020 में लालू प्रसाद यादव ने टिकट देने का वादा किया था, लेकिन 2025 में टिकट काट दिया गया।
- स्थान: पटना में लालू आवास/राबड़ी आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन।
- सीट संदर्भ: बॉधगया/बाराचट्टी क्षेत्र; नामांकन की समयसीमा के ठीक पहले मामला उछला।
- आरजेडी में टिकट वितरण को लेकर असंतोष के और मामले भी सामने आए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के टिकट बंटवारे के बीच आरजेडी की लंबे समय से सक्रिय कार्यकर्ता उषा देवी ने रविवार को पटना स्थित लालू प्रसाद यादव के आवास के बाहर विरोध दर्ज कराया। उनका कहना है कि वे 17 साल की उम्र से पार्टी से जुड़ी हुई हैं और पिछले कई वर्षों से संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभाती रही हैं, इसके बावजूद इस बार उनका टिकट काट दिया गया।
मीडिया से बातचीत में उषा देवी ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं की ओर से उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि वे बोधगया (या बाराचट्टी) सीट से उम्मीदवार होंगी; यही नहीं, उन्होंने चुनावी तैयारी की शुरुआत करते हुए गांव-गांव संपर्क और अपने माता-पिता का आशीर्वाद भी लिया था। परंतु अंतिम क्षणों में टिकट न मिलने से वे भावुक हो गईं और “2020 में किए गए वादे” का हवाला दिया।
यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब दूसरे चरण में 11 नवंबर 2025 को मतदान होना है और नामांकन की अंतिम तिथि बेहद नजदीक है। टिकट वितरण की खींचतान के बीच ऐसा सार्वजनिक विरोध पार्टी संगठन और जमीनी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकता है।
उषा देवी का दावा क्या है?
उषा देवी का कहना है कि उन्हें तेजस्वी यादव समेत कुछ वरिष्ठ नेताओं से आश्वासन मिला था। उनका आरोप है कि इतने वर्षों की निष्ठा और मेहनत के बाद भी उन्हें अनदेखा किया गया। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे पार्टी नेतृत्व के प्रति सम्मान बनाए रखती हैं और “निराश जरूर हैं, लेकिन विरोध का उद्देश्य सिर्फ अपनी बात रखना है।”
क्यों बढ़ रही है ‘टिकट विवाद’ की तपिश?
बीते कुछ दिनों में आरजेडी में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष के अन्य मामले भी उजागर हुए हैं। इससे स्पष्ट है कि उम्मीदवार चयन पर पारदर्शिता और संचार की कमी का आरोप तेज हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे विरोध चुनाव प्रचार की एकजुटता, बूथ प्रबंधन और समर्थकों की सक्रियता पर प्रत्यक्ष असर डाल सकते हैं।
राजनीतिक असर: पार्टी और गठबंधन के लिए संकेत
आरजेडी के लिए यह प्रकरण एक अंतर्निहित असंतुलन का संकेत है। यदि असंतोष का समाधान समय रहते नहीं हुआ, तो इसका असर महागठबंधन के समन्वय और संदेश पर पड़ेगा। इसके विपरीत, यदि पार्टी स्पष्ट कारण बताकर और आंतरिक संवाद बढ़ाकर विवाद सुलझा लेती है, तो नुकसान सीमित रह सकता है।
तथ्य-जांच और स्रोत
घटना के वीडियो और बयान कई प्रतिष्ठित प्लेटफ़ॉर्म पर सामने आए। विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें:
IndiaTV,
Hindustan Times और
Free Press Journal।
2020 के कथित ‘वादे’ का दावा फिलहाल उषा देवी के बयान पर आधारित है; इसकी स्वतंत्र पुष्टि उपलब्ध नहीं है।
क्या आगे हो सकता है?
- पार्टी नेतृत्व आंतरिक संवाद एवं स्पष्ट मानदंड साझा कर असंतोष कम करने की कोशिश कर सकता है।
- बोधगया/बाराचट्टी जैसे सीटों पर स्थानीय समीकरण और कार्यकर्ता-समर्थन अब प्रत्याशी की जीत-हार में निर्णायक होंगे।
- यदि असंतोष बढ़ा, तो विद्रोही उम्मीदवार या स्वतंत्र दावेदारी जैसे कदम चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
डिस्क्लेमर: रिपोर्ट में प्रयुक्त वीडियो/फोटो बाहरी स्रोतों से लिए गए हैं; सभी क्रेडिट संबंधित स्रोतों को।
“`