आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बयान

आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: “देश की छवि खराब हो रही है…” राज्यों को फटकार, सभी मुख्य सचिव तलब

आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बयान एक बार फिर सुर्खियों में है। देशभर में लगातार बढ़ते कुत्तों के हमलों और आम लोगों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि “देश की छवि खराब हो रही है” क्योंकि कई राज्यों ने अब तक अपने-अपने हलफनामे दाखिल नहीं किए हैं। कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को तलब किया है।

हालांकि, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को इसमें से छूट दी गई है क्योंकि दोनों राज्यों ने पहले ही हलफनामा जमा कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बाकी सभी राज्य अब जवाब दें कि वे इस गंभीर समस्या पर क्या कदम उठा रहे हैं।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा —
“देश के कई हिस्सों से आवारा कुत्तों द्वारा हमलों की घटनाएं आ रही हैं। यह न सिर्फ नागरिक सुरक्षा का मामला है बल्कि यह देश की छवि पर भी असर डाल रहा है।”
कोर्ट ने कहा कि राज्यों का लापरवाह रवैया अस्वीकार्य है और अगर अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ABP News रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने यह भी कहा कि यह समस्या केवल नगर निगमों की नहीं बल्कि राज्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। “हर नागरिक को सड़कों पर सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है।”

आवारा कुत्तों की समस्या क्यों बढ़ रही है?

भारत में पिछले कुछ वर्षों में आवारा कुत्तों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। कई राज्यों में इनके टीकाकरण और नसबंदी की प्रक्रिया अधूरी है। परिणामस्वरूप, कुत्तों के झुंड सड़कों पर घूमते हैं और लोगों पर हमले की घटनाएं आम हो गई हैं।
India Today रिपोर्ट के अनुसार, केवल 2024 में ही भारत में कुत्तों के काटने के 17 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सिर्फ प्रशासन की नहीं बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है। लोगों द्वारा बचे हुए खाने को सड़कों पर फेंकना, अनियंत्रित प्रजनन और पशु आश्रयों की कमी इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं।

राज्यों को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बयान साफ है — अब कोई बहाना नहीं चलेगा। अदालत ने कहा है कि सभी राज्य 3 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करें जिसमें यह बताया जाए कि आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्वास पर क्या कदम उठाए गए हैं।

कोर्ट ने कहा, “अगर जवाब नहीं दिया गया, तो जिम्मेदार अफसरों पर व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाएगी।”
यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को भी इस मामले में राज्यों के साथ समन्वय बनाना चाहिए ताकि यह समस्या राष्ट्रीय स्तर पर सुलझाई जा सके।

लोगों की प्रतिक्रियाएं

सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है। लोग सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की सराहना कर रहे हैं। कई यूज़र्स ने लिखा कि “कुत्तों से डरकर बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, अब उम्मीद है कि कोई ठोस कदम उठेगा।” वहीं, कुछ पशु प्रेमी संगठनों ने कहा है कि कुत्तों को मारना समाधान नहीं है — बल्कि सरकार को मानव-हितैषी नियंत्रण नीति बनानी चाहिए।

क्या होगा आगे?

अब नजरें 3 नवंबर की सुनवाई पर हैं जब सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश करनी होगी।
अगर राज्यों ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो सुप्रीम कोर्ट कोई नया दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।
इस बीच, देश के कई शहरों में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है।

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